हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,दिल्ली/ बस्ती बस्ती, क़रया क़रया, मज़लूमे कर्बला मोहसिने इस्लाम हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) की अज़ादारी हो रही है। अत्याचारीयो से घृणा और मज़लूमीने आलम से हमदर्दी कर्बला का महत्वपूर्ण संदेश है।
मौलाना सैयद हैदर अब्बास ने मजलिस के दौरान कहा कि आज की स्थिति किसी से छिपी नहीं है, लोग बेरोजगार हैं, युवा अपने भविष्य को लेकर दुविधा में हैं। हर ओर निराशा के खतरनाक बादर मंडला रहे है। क्या कर्बला की याद आपको निराशा से बचा सकती है? निश्चित रूप से कर्बला की स्मृति आशावान हो सकती है। क्योंकि कर्बला के पास वो सारे साधन और संसाधन थे जो आदमी को मायूस करने के लिए काफी थे। 30 हजार की सेना एक छोटे से समूह के सामने थी। इमाम हुसैन अच्छी तरह जानते थे कि अशूरा के दिन शहादत का बाजार गर्म होगा। इन सबके बावजूद, इमाम अलीमक़म ने ख़ुदा के साथ अपने रिश्ते को मज़बूत रखा और कहा, "ऐ ख़ुदा, इन हालात में तुम मेरी उम्मीदों का केंद्र हो।"
मौलाना सैयद हैदर अब्बास ने निराशा के कारणों को बताते हुए कहा किअल्लाह के साथ संबंध जितना मजबूत होगा, निराशा से मुक्ति उतनी ही जल्दी मिलेगी। हालांकि, इस मोक्ष के लिए कार्रवाई की आवश्यकता है। यह दुनिया का काम है।
देश की वर्तमान समस्याओं पर श्रोताओं को संबोधित करते हुए जवानसाल आलम ने कहा कि हम एक प्रशिक्षित राष्ट्र हैं, देश के प्रति वफादारी हमारी रगों में दौड़ रही है। भादी में कुछ गैरजिम्मेदार पुलिस कर्मियों द्वारा ताज़िया का अपमान असहनीय है। हमने सफल प्रयास किए हैं। शहीदों के शोक को अतीत से रोकने के लिए, लेकिन हमने कर्बला को एक आदर्श बनाया है, हम मृत्यु से भयभीत नहीं हो सकते, न ही हम शहादत से वंचित हो सकते हैं।